ज़िन्दगी

शोर में गुम है ज़िन्दगी
मौन आहटों के है साये
तेरे दिल से मेरे दिल तक
बंद है सब तरफ की राहे
अपने अपने कोटरों में बैठ
करते खुद अपने से ही बाते
वक़्त के पायताने पे बैठ
लिखते रहे हिसाब अनगिनत
लौट के आते है पर सुन नहीं
सकते अपनी दिल की आवाज़े
सुनने वाला कोई नहीं आज
पीट रहे ढोल खुद अपना लिए
शोर के बीच मैं है शोर इतना
देख भी न पा रहे वो कल अपना
रो पड़े ज़िन्दगी ज़िन्दगी को आज
शोर मैं गुम हुए सब सन्नाटे आज

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