ज़िन्दगी




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साभार गुगल
टुकडो - टुकडों में  बंटी
यह ज़िन्दगी  मिली है
गुलाबी सर्द राते जैसे
चादर में लिपटी हुई है
मद्धम - मद्धम बदली है
सर्दी तो  कभी गर्मी है
नर्म तानो बानो से बुनी
सात रंगों के रंग में रंगी
काली, नीली कभी पीली
ज़िन्दगी के ताने - बाने  है
सुलझते- उलझते मन के
तार कभी टूट कर जुड़ते है
आशा , निराशा में बंध के
चाँद सितारे आसमां रोते है
दिन के चटकीले  रंगों में
आंसू भी छिप से जाते है
रात को शबनम बन कर
मेरे मन पे तन पे गिरते है
आराधना राय अरु


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