शक्तिमान



शक्तिमान ------------अतुकांत
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सुना था चेतक ने रण में महाराणा
की जान बचाई थी
हे परम वीर ओ शक्तिमान
तूने क्यों जान गवाई थी
बिन बात आत्मघाती हमला
किस कि आन पे बन आई थी
पशु समझ कर किस कठोर ने
लाठी तुझ पर क्यों बरसाई थी
मनुज ने दाव अपने खूब चलाए है
बेजुबान पे कितने अत्याचार कराए है
गो - माता है , धरणी धर है
उस पर राजनिति कर मुस्कुरायेगे
हिंदू - मुस्लिम भेद जो करते वो शक्ति
का मान नहीं रख पायेगे
ओ भारत के प्रहरी रण वीर
चेतक या शक्तिमान तुझे नहीं भूल पायेगे
आराधना राय अरु

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