तुझ से मिले ------अतुकांत---- -----------------------------

साभार गुगल
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सुबह से शाम ज़िन्दगी
के ताने-बाने बुने
रेशम से महीन धागे से
रिश्तों के पैबंद सिले
जार- जार रो कर
तुझ से मिले
डूब कर देखा कभी
सहरा भी गिला लगे
इस तरह रोज़ हम
तुझ से मिले
समंदर में उस तरह
से हम हर एक दरिया
से मिले...
ज़िन्दगी बता हम तुझ
से क्यों मिले
मेरी बदहवासी देखी
तूने.....
रोती आवाज़े भी सुनी तूने
बेबस है इसलिए हम
तुझ से मिले....
जीने के लिए मर कर
क्या तुझ से मिले..
अरु बहुत अभी अश्क
पीने को....प्यासा गर
दरिया है दरिया क्यों
रहे...
आराधना राय" अरु"

Comments

  1. बेहरीन अभिव्यक्ति आराधना जी

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  2. बेहरीन अभिव्यक्ति आराधना जी

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