कोई बात है


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नयनों ने नयनों से कही क्या बात है
रूप का आँचल संवारती कोई बात है
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अलकों को सजा लेने की कोई बात है
मधुर गीतों से सजी फ़िर कोई बात है
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हमने देखी दुनियाँ अजब कोई बात है
बोल कर हँसती तुम्हारी भी कोई बात है
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जागती आँखों ने कही फ़िर कोई बात है
उमर के मोड़ पर रुकी फ़िर कोई बात है
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पल -हर पल तुम्हें निहारती कोई बात है
परत दर परत चढ़ी खमोशी कोई बात है
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रेत का तूफां था नहीं माना कोई बात है
ले गया संग अपने बस्तीयाँ कोई बात है
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तुम से तू का सफर रहा ये कोई बात है
"अरु" आहत है मन कह कोई बात है

आराधना राय "अरु"

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