रिश्ते



साभार गुगल

रेशम के धागों की तरह नाज़ुक होते है
हाथ लगे तो रिश्ते पल में  मैले होते है
ठेस लगाने पर टूट कर बिखर जाते है
किरचों की तरह वो हाथ में चुभ जाते है

कहानी बन आसुओं में पिधल जाता है
दर्द बन कर जुबान पर चला आता है
बहरूपिया बन हँसा कर रुला जाता है
डोर रेशम की ये मजबूत बन जाती है

साथ लम्हों का जन्मों सा बिता जाती है
अजनबी  सफर में अपना बना जाती है
इक गाठं जन्मों तक रुला कर जाती है
डोर  रिश्तों कीजीवन  बांध कर जाती है

आराधना राय "अरु"


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